अकोला, महाराष्ट्र राज्य के विदर्भ क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से भरपूर शहर है। यह शहर न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने सुंदर प्राकृतिक स्थल, धार्मिक स्थल, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी जाना जाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि अकोला का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे विभिन्न राजवंशों ने शासित किया है। यह क्षेत्र पहले सतवाहन साम्राज्य के अधीन था, जो ईसा पूर्व दूसरी सदी से ईसा तिसरी सदी तक था। मध्यकालीन काल में अकोला विभिन्न मुस्लिम शासकों के अधीन था। 14वीं और 15वीं सदी में यह बहमनी साम्राज्य का हिस्सा था। बाद में, 16वीं सदी में, यह अहमदनगर सल्तनत और फिर मुगल साम्राज्य के अधीन आया। 17वीं सदी के अंत में, अकोला पर मराठा साम्राज्य का नियंत्रण हो गया। यह क्षेत्र मराठों और मुगलों के बीच कई संघर्षों का केंद्र रहा। 18वीं सदी में, यह पेशवा बाजीराव प्रथम के अधीन था। 1803 में, अकोला पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का नियंत्रण हो गया,।स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, अकोला महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा बन गया।
अकोला ऐतिहासिक के साथ -साथ प्रकृतिक ,सांस्कृतिक विरासत को भी संजोय को रखा है जिसे देखने के लिए दूर दूर से टूरिस्ट आते है। हम यहाँ Best Top 10 प्लेस की लिस्ट देंगे जहा आप घूमने का आनंद ले सकते है।

1.राजराजेश्वर मंदिर, अकोला( Rajarajeshwar Temple, Akola)

परिचय –अकोला के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक, राजेश्वर मंदिर है, यह अकोला किले में स्थित है। मंदिर में लिंग में थोड़ी दरार पड़ी हुई है। इसके पीछे एक प्राचीन स्टोरी है ऐसा माना जाता है कि राजा अकोला सिंह की पत्नी रोज आधी रात को सज -धज कर शिव की पूजा करने बाहर जाती थी,इसलिए एक दिन राजा अकोला सिंह ने शक वश उसका पीछा किया। यह जानकारी रानी को हुई तो वह बहुत दुखी हुई और भगवन शिव से विनती की वह उसे अपने में समां ले तब शिवलिंग दो भाग हो जाता है और रानी उसमे समां जाती है और जब शिवलिंग जुड़ता है तो उसमे दरार रह जाता है जो आज भी है।
क्यों जाएं – मंदिर की बनावट बहुत की भव्य और सुन्दर है इसका मुख्य गेट संगमरमर को तराश कर बनाया गया है चुकी यह प्राचीन मंदिर है तो इसका झलक इसमें देखने को मिलती है , इस मंदिर में कई और भी छोटे छोटे मंदिर है जिसमे कई भगवन के दर्शन हो जाता है। चुकी यह मंदिर अकोला किला के अंदर है तो आप यहाँ साथ साथ अकोला किले को भी देख सकते है ,सोमवार को यहाँ विशेष पूजा अर्चना होती है। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि यहां आनेवाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां स्थित शिवलिंग का महत्व किसी ज्योर्तिंलिंग से कम नहीं माना जाता है।
कब जाये -मंदिर में साल में कभी भी जाया जा सकता है यहाँ मौसम को लेकर कोई परेशानी नहीं है लेकिन सावन के महीने में विशेष भीड़ रहती है।
कैसे जाये –अकोला का निकटतम हवाई अड्डा डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नागपुर है, जो अकोला से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
नागपुर हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस से सीधे अकोला तक पहुँच सकते हैं। यात्रा का समय लगभग 4 से 5 घंटे का होता है।अकोला रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है और यह देश के विभिन्न प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जहा से मंदिर महज 2 से 3 किलो मीटर की दुरी पर है। जहा से स्थानीय साधन आसानी से मिलता है। अकोला बस अड्डा भी महाराष्ट्र के सभी शहर से जुड़ा है।

2.अकोला किला (असदगढ़ किला ) अकोला, महाराष्ट्र Akola Fort (Asadgad Fort) Akola, Maharashtra

परिचय –इतिहास के पन्नो के अनुसार शुरुआत में, किले का निर्माण औरंगजेब के शासनकाल के दौरान अकोल सिंह द्वारा मिट्टी के रूप में किया गया था।ऐसा मानना है की एक दिन, अकोल सिंह ने एक खरगोश को कुत्ते का पीछा करते देखा, इसे एक पवित्र संकेत मानते हुए, गाँव के चारों ओर एक किला बनाया गया था। बाद में, किले का निर्माण बड़े ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक, लाइन के पत्थर, मिट्टी के ब्लॉक, मिट्टी की ईंटों, लकड़ी, लोहे का उपयोग करके किया गया था, जो औरंगजेब के मंत्री असद खांन ने करवाया था। इसलिए इस किले को असद खान के किला के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 1803 में, दूसरे अंग्रेज -मराठा युद्ध के दौरान, किला आर्थर वेलेस्ली का शिविर स्थल बन गया था , बाद में 1870 में, अंग्रेजों द्वारा किले को नष्ट कर दिया था। 1910 में एक जिला गजट में बताया गया था कि किले के मध्य भाग का उपयोग स्कूल के रूप में किया जाता था।
क्यों जाएं – अकोला किले को ख्वाजा अब्दुल लतीफ नामक एक प्रसिद्ध वास्तुकार द्वारा डिज़ाइन किया गया था। इसकी दीवारें तीन अलग-अलग परतों की पत्थर की चिनाई से बनी हुई है। यहाँ तहखाने से 10 मीटर की ऊँचाई तक विशाल पत्थर के ब्लॉक रखे गए हैं और बाद में पत्थर के ब्लॉक का आकार इसके आकार में कम होता जाता है। इसका दरवाजा दही हांडा दरवाजा के रूप में जाना जाता है, यहाँ इस किले के इतिहास से संबंधित एक शिलालेख है और इस किले की मुख्य दीवार पर कई इबारते हैं। जो संस्कृत और फ़ारसी में है।इस किले के अंदर एक शिव मंदिर है। जो राजेश्वर शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है । इसमें एक बहुत ही सुंदर शिव लिंग है, जो उच्च समृद्ध गहरे आबनूस पत्थर से बना है। यहाँ कई मिट्टी से निर्मित संरचनाएँ भी हैं, जो इस किले के शुरुआती समय में बनाई गई थीं। कई अच्छी तरह से निर्मित पत्थर के ब्लॉक संरचनाएँ भी हैं, जो इसके लगातार रहने वालों द्वारा बाद के समय में बनाई गई थीं। 
कब जाये -अकोला किला साल भर में कभी भी जाया जा सकता है। चुकी इसके अंदर मंदिर है और लोग आते जाते ही रहते है तो कभी भी पहुंचने में कोई समस्या नहीं है वैसे ऑक्टूबर से मार्च तक मौसम बहुत सुहावना होता है उस समय आने पर एन्जॉय किया जा सकता है।
कैसे जाये –अकोला किले का निकटतम हवाई अड्डा डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नागपुर है, जो अकोला से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।नागपुर हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस से सीधे अकोला तक पहुँच सकते हैं। यात्रा का समय लगभग 4 से 5 घंटे का होता है।अकोला रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है और यह देश के विभिन्न प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जहा से मंदिर महज 2 से 3 किलो मीटर की दुरी पर है। जहा से स्थानीय साधन आसानी से मिलता है। अकोला बस अड्डा भी महाराष्ट्र के सभी शहर से जुड़ा है।

3. सालासार बालाजी मंदिर , अकोला, महाराष्ट्र (Salasar Balaji Temple, Akola, Maharashtra)

परिचय – 2 लाख वर्ग फीट में फैला हुआ ,सालासर बालाजी मंदिर की निर्माण 15 अप्रैल सन 2014 में प.पु.स्वामी श्री गोविन्द देव गिरी जी महाराज (श्री किशोर जी ब्यास ) के कर कमलो द्वारा नफीश बाघ में हुआ था। इस मंदिर में सालासर बालाजी के अलावा शिव परिवार ,राधा कृष्ण आदि की भी मुर्तिया है।पुरे भारत में केवल दो ही जगह पर दाढ़ी मूंछ वाले बालाजी अर्थात हनुमान जी की मुर्ति है एक राजस्थान के चूरू जिले में और उसी का प्रतिरूप महाराष्ट्र के अकोला जिला में है।
क्यों जाएं – चूरू के बालाजी के दर्शन ना कर पा रहा हो तो वह अकोला में आकर बालाजी का दर्शन का लाभ पा सकते है, क्योकि ऐसे बालाजी की प्रतिमा भारत में दो ही जगह है एक चूरू में और एक अकोला में। इस मंदिर का डिज़ाइन और आर्टिटेक प्राचीनता और नवीनता का संगम है। मंदिर परिसर में बगीचा बना हुआ है जो फाउंटेन से सुसज्जित है, शाम के समय इसकी छटा बहुत सुन्दर रहता है ,विशेष समय पर जैसे हनुमान जयंती ,कृष्ण जन्म-उत्सव ,सावन आदि के समय मंदिर में विशेष लाइटिंग होती है। यहाँ आद्यात्मिक शांति के साथ साथ मानसिक शांति भी मिलता है।
कब जाए -यहाँ साल में कभी भी जा सकते हैं ,मंदिर सुबह 8 बजे खुल कर 12 बजे बंद होता है और शाम के समय 4 बजे खुलता है और रात 9. 30 बजे में बंद होता है। मंदिर में आरती का समय सुबह 8 बजे और शाम को जाड़े में 6. 30 बजे और गर्मी में 7 बजे होता है।
कैसे जाये –अकोला से निकटतम हवाई अड्डा डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नागपुर है, जो अकोला से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहा से लगभग 4 से 5 घंटे अकोला आने में लगता है। अकोला रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है और यह देश के विभिन्न प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जहा से मंदिर महज 2 से 3 किलो मीटर की दुरी पर है। जहा से स्थानीय साधन आसानी से मिलता है। अकोला बस अड्डा भी महाराष्ट्र के सभी शहर से जुड़ा है।

4.काटेपूर्णा वन्यजीव अभयारण्य ,अकोला महाराष्ट्र(Katepurna Wildlife Sanctuary, Akola Maharashtra)

परिचय – 2 लाख वर्ग फीट में फैला हुआ ,सालासर बालाजी मंदिर की निर्माण 15 अप्रैल सन 2014 में प.पु.स्वामी श्री गोविन्द देव गिरी जी महाराज (श्री किशोर जी ब्यास ) के कर कमलो द्वारा नफीश बाघ में हुआ था। इस मंदिर में सालासर बालाजी के अलावा शिव परिवार ,राधा कृष्ण आदि की भी मुर्तिया है।पुरे भारत में केवल दो ही जगह पर दाढ़ी मूंछ वाले बालाजी अर्थात हनुमान जी की मुर्ति है एक राजस्थान के चूरू जिले में और उसी का प्रतिरूप महाराष्ट्र के अकोला जिला में है।
क्यों जाएं – चूरू के बालाजी के दर्शन ना कर पा रहा हो तो वह अकोला में आकर बालाजी का दर्शन का लाभ पा सकते है, क्योकि ऐसे बालाजी की प्रतिमा भारत में दो ही जगह है एक चूरू में और एक अकोला में। इस मंदिर का डिज़ाइन और आर्टिटेक प्राचीनता और नवीनता का संगम है। मंदिर परिसर में बगीचा बना हुआ है जो फाउंटेन से सुसज्जित है, शाम के समय इसकी छटा बहुत सुन्दर रहता है ,विशेष समय पर जैसे हनुमान जयंती ,कृष्ण जन्म-उत्सव ,सावन आदि के समय मंदिर में विशेष लाइटिंग होती है। यहाँ आद्यात्मिक शांति के साथ साथ मानसिक शांति भी मिलता है।
कब जाए -यहाँ साल में कभी भी जा सकते हैं ,मंदिर सुबह 8 बजे खुल कर 12 बजे बंद होता है और शाम के समय 4 बजे खुलता है और रात 9. 30 बजे में बंद होता है। मंदिर में आरती का समय सुबह 8 बजे और शाम को जाड़े में 6. 30 बजे और गर्मी में 7 बजे होता है।
कैसे जाये –अकोला से निकटतम हवाई अड्डा डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नागपुर है, जो अकोला से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहा से लगभग 4 से 5 घंटे अकोला आने में लगता है। अकोला रेलवे स्टेशन महाराष्ट्र के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है और यह देश के विभिन्न प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जहा से मंदिर महज 2 से 3 किलो मीटर की दुरी पर है। जहा से स्थानीय साधन आसानी से मिलता है। अकोला बस अड्डा भी महाराष्ट्र के सभी शहर से जुड़ा है।
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.
Scroll to Top