परिचय-लक्ष्मी नारायण मंदिर, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित, पवित्र धार्मिक स्थल है। इस मंदिर में रंगनाथ की मूर्ति है, जिसे बिलासपुर के पुराने शहर से लाया गया था। भाखड़ा बांध के निर्माण के बाद, पुराना मंदिर गोविंद सागर झील में डूब गया। इस मंदिर का निर्माण विष्णु भगवान के अवतार लक्ष्मी नारायण को समर्पित है। लक्ष्मी नारायण मंदिर, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की संयुक्त पूजा का स्थल है, जहां उन्हें शक्ति और धन की देवी के रूप में पूजा जाता है।
क्यों जाये – भगवान विष्णु, जिन्हें सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में माना जाता है, इस मंदिर के मुख्य देवता हैं। उनके साथ देवी लक्ष्मी, जो धन, समृद्धि और सुख की देवी हैं, की भी पूजा की जाती है। लक्ष्मी नारायण मंदिर की वास्तुकला बहुत ही भव्य और आकर्षक है। यह मंदिर हिमाचली शैली में बना हुआ है, जिसमें लकड़ी और पत्थर का विशेष रूप से उपयोग किया गया है। मंदिर की संरचना में काठकोणी शैली की विशेषताएं देखी जा सकती हैं, जो हिमाचल प्रदेश की पारंपरिक वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर की दीवारें और स्तंभों पर बारीक नक्काशी की गई है, जो उस समय की कला और शिल्प कौशल को दर्शाती हैं।मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां स्थापित हैं। ये मूर्तियां बहुत ही सुंदर और दिव्य हैं। मंदिर के बाहरी हिस्से में भी नक्काशीदार पत्थरों का प्रयोग किया गया है, जो मंदिर की सुंदरता को और भी बढ़ाते हैं।
कब जाये -यहाँ साल में कभी भी आ सकते है।मंदिर में सावन में विशेष पूजा अर्चना होता है।
कैसे जाये लक्ष्मी नारायण मंदिर तक पहुंचना काफी आसान है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग सबसे उपयुक्त है। निकटतम हवाई अड्डा चंडीगढ़ है, जो लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चंडीगढ़ से बिलासपुर तक आप टैक्सी या बस के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं।अगर आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं, तो निकटतम रेलवे स्टेशन ऊना है, जो बिलासपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। ऊना से बिलासपुर तक आप बस या टैक्सी के माध्यम से पहुंच सकते हैं। बिलासपुर से लक्ष्मी नारायण मंदिर की दूरी मात्र 10 किलोमीटर है, जिसे आप स्थानीय परिवहन साधनों से आसानी से तय कर सकते हैं।